32
पापए क्षमा योंसि सुख योंब
दाऊदए मस्किल* बिबै भजन घ्रि
पापए क्षमा योंसि
पाप त्होयाबै म्हि ङ्‍हो सब् ग।
छाबै म्हिलाइ याहवेहजी दोषि आठर्दि,
छले आछ्याँबै सैं आरेबै म्हिए फिर खीजी आशिक पिंम्।
 
पाप लसेया ङइ “पाप लइमुँ” आबिल्‍ले टिमा
त्हिंइतिमिंन् ङ क्रोबइले ङए ह्रिब्मैं ङ्युयाइ।
तलेबिस्याँ त्हिंयाँ म्हुँइँस क्हिजी ङलाइ थेबै दण्ड पिंइ।
छतसि ख्वालबै त्हेर्बै त्हिंयाँइ ख्रोंब् धोंले ङए ज्युर्बै भों खाँयाल।
तिस्याँदे मैंन्
 
लिउँइ क्हिए उँइँर ङ पापि ग बिसि ङइ बिल,
धै ङइ लबै आछ्याँबै केमैं ङइ आलो।
“ङइ लबै आछ्याँबै केमैं याहवेहए उँइँर बिब्मुँ,” बिसि ङइ बिइ,
धै ङए पापमैं क्हिजी क्षमा लमिंइ।
तिस्याँदे मैंन्
 
छतसि क्हिलाइ त्होल् खाँबै त्हे मुँमन्
क्हिजी बिब् ङिंब्मैं ताँनइ प्राथना लरिगे।
छलमा प्ल्हों खबै भेल्गज्यै या
चमैंलाइ छुइरिब् आरे।
क्हिन् ङए लोइ टिबै क्‍ल्‍ह्‍यो ग,
क्हिजी ङ दुःखउँइँले जोगेमिंइमुँ,
छतसि ङलाइ जोगेमिंबै परमेश्‍वर क्हिन् ग बिसि
सैं तोंदै क्वे प्रिंसि ङ क्हिए मिं क्वेब्मुँ।
तिस्याँदे मैंन्
 
“ङइ क्हिलाइ लोमिंब्मुँ,” बिसि याहवेहजी बिइ। “क्हि प्रल् त्हुबै घ्याँर ङइ क्हिलाइ डोरेमिंब्मुँ;
ङइ क्हिलाइ लोदा-सैंदा लसि क्हिए फिर्न मि छरिब्मुँ।
क्हेमैं बुद्धि आरेबै घोडा नेरो खच्‍चर धों आतद्!
चमैंलाइ तार झोंबै ल्हागिर लगाम नेरो पैए प्हरे चैदिम्,
आस्याँ क्हिइ चमैंलाइ तार झोंल् आखाँ।”
 
10 दुष्‍ट म्हिमैंइ ल्हें दुःख योंल् त्हुब्मुँ,
दिलेया याहवेहए फिर भर लब्मैंलाइ बिस्याँ खीजी खोंयोंइ आनुबै म्हाँया लसि रक्षा लमुँ।
11 ओ ठिक के लब्मैं, याहवेहजी लबै केमै मैंसि सैं तोंसि कै तेद्,
ओ छ्याँबै सैं प्ह्‍याब्मैं, सैं तोंदै खीए जयजय लद्।
* 32: मस्किलए मतलब पक्‍का था आरे, दिलेया ज्ञान बुद्धि पिंबै क्वे मुँलै। 32:2 रोम ४:७-८