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शाम और इसराईल की तबाही
1 दमिश्क़ शहर के बारे में अल्लाह का फ़रमान :
“दमिश्क़ मिट जाएगा, मलबे का ढेर ही रह जाएगा।
2 अरोईर के शहर भी वीरानो-सुनसान हो जाएंगे। तब रेवड़ ही उनकी गलियों में चरेंगे और आराम करेंगे। कोई नहीं होगा जो उन्हें भगाए।
3 इसराईल के क़िलाबंद शहर नेस्तो-नाबूद हो जाएंगे, और दमिश्क़ की सलतनत जाती रहेगी। शाम के जो लोग बच निकलेंगे उनका और इसराईल की शानो-शौकत का एक ही अंजाम होगा।” यह है रब्बुल-अफ़वाज का फ़रमान।
4 “उस दिन याक़ूब की शानो-शौकत कम और उसका मोटा-ताज़ा जिस्म लाग़र होता जाएगा।
5 फ़सल की कटाई की-सी हालत होगी। जिस तरह काटनेवाला एक हाथ से गंदुम के डंठल को पकड़कर दूसरे से बालों को काटता है उसी तरह इसराईलियों को काटा जाएगा। और जिस तरह वादीए-रफ़ाईम में ग़रीब लोग फ़सल काटनेवालों के पीछे पीछे चलकर बची हुई बालियों को चुनते हैं उसी तरह इसराईल के बचे हुओं को चुना जाएगा।
6 ताहम कुछ न कुछ बचा रहेगा, उन दो-चार ज़ैतूनों की तरह जो चुनते वक़्त दरख़्त की चोटी पर रह जाते हैं। दरख़्त को डंडे से झाड़ने के बावुजूद कहीं न कहीं चंद एक लगे रहेंगे।” यह है रब, इसराईल के ख़ुदा का फ़रमान।
7 तब इनसान अपनी नज़र अपने ख़ालिक़ की तरफ़ उठाएगा, और उस की आँखें इसराईल के क़ुद्दूस की तरफ़ देखेंगी।
8 आइंदा न वह अपने हाथों से बनी हुई क़ुरबानगाहों को तकेगा, न अपनी उँगलियों से बने हुए यसीरत देवी के खंबों और बख़ूर की क़ुरबानगाहों पर ध्यान देगा।
9 उस वक़्त इसराईली अपने क़िलाबंद शहरों को यों छोड़ेंगे जिस तरह कनानियों ने अपने जंगलों और पहाड़ों की चोटियों को इसराईलियों के आगे आगे छोड़ा था। सब कुछ वीरानो-सुनसान होगा।
10 अफ़सोस, तू अपनी नजात के ख़ुदा को भूल गया है। तुझे वह चट्टान याद न रही जिस पर तू पनाह ले सकता है। चुनाँचे अपने प्यारे देवताओं के बाग़ लगाता जा, और उनमें परदेसी अंगूर की क़लमें लगाता जा।
11 शायद ही वह लगाते वक़्त तेज़ी से उगने लगें, शायद ही उनके फूल उसी सुबह खिलने लगें। तो भी तेरी मेहनत अबस है। तू कभी भी उनके फल से लुत्फ़अंदोज़ नहीं होगा बल्कि महज़ बीमारी और लाइलाज दर्द की फ़सल काटेगा।
दीगर क़ौमों के बेकार हमले
12 बेशुमार क़ौमों का शोर-शराबा सुनो जो तूफ़ानी समुंदर की-सी ठाठें मार रही हैं। उम्मतों का ग़ुल-ग़पाड़ा सुनो जो थपेड़े मारनेवाली मौजों की तरह गरज रही हैं।
13 क्योंकि ग़ैरक़ौमें पहाड़नुमा लहरों की तरह मुतलातिम हैं। लेकिन रब उन्हें डाँटेगा तो वह दूर दूर भाग जाएँगी। जिस तरह पहाड़ों पर भूसा हवा के झोंकों से उड़ जाता और लुढ़कबूटी आँधी में चक्कर खाने लगती है उसी तरह वह फ़रार हो जाएँगी।
14 शाम को इसराईल सख़्त घबरा जाएगा, लेकिन पौ फटने से पहले पहले उसके दुश्मन मर गए होंगे। यही हमें लूटनेवालों का नसीब, हमारी ग़ारतगरी करनेवालों का अंजाम होगा।